Thursday 4 November 2010

ट्यूबलाईट नहीं जलती..

ट्यूबलाईट नहीं जलती अब
न लाल होकर, न काली होकर
न फड़फड़ाकर, न लड़खड़ाकर
एक बार में क्या
दस बार में नहीं
प्यार करो चाहे फटकार भी सही
कोई मरता हो जल्दी मरे पर
जूं भी रेंगती नहीं
ट्यूबलाईट अब जलती नहीं

पुराने कमरे की टूटी-फूटी दीवार पर
अन्धेरे और दुर्गन्ध में
रोशनी की एक बूंद भी नहीं
चीख़-पुकार, लहू,
हैवानियत की हुंकार पर भी
ये तो फड़कती नहीं
ट्यूबलाईट अब जलती नहीं

आस्था की अस्थियों में छेद लिए
नाली की गंदगी सा प्रण लिए
मारपीट, गाली-गलौज,
धक्का-मुक्की दिखती नहीं
ट्यूबलाईट अब जलती नहीं

सिली हुई सांसे उधड़ने लगी
सिसकियों की गर्माहट
कब की ठण्डी पड़ गयी
गिड़गिड़ाहट, तड़पन,
घुटन अब मिटती नहीं
ट्यूबलाईट अब जलती नहीं ।।

पर ये एक बार जली थी
ग़ुस्से के ग़ुबार पर
असहमति की पुकार पर
मन में बसे आग़ाज़ के लिए
कुचली गई आवाज़ के लिए
फिर जमकर..
इसे ज़लालत मिली
समझदारों से लानत मिली
इसकी रग-रग उधेड़
हर पुर्ज़े की तफ़्तीश हुई
तब इसे अपनी औक़ात पता चली
इसका मज़हब और ज़ात पता चली

बस..तभी से बेजान पड़ी है
जलती नहीं है अब
पता नहीं क्यों..

11 comments:

  1. बहुत अच्छा पोस्ट , दीपवाली की शुभकामनाये
    sparkindians.blogspot.com

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  3. धन्यवाद दोस्तो।। आप सभी को दिपावली की हार्दिक शुभकामनाऐं।।

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  4. एक कसक है रचना में...


    सुख औ’ समृद्धि आपके अंगना झिलमिलाएँ,
    दीपक अमन के चारों दिशाओं में जगमगाएँ
    खुशियाँ आपके द्वार पर आकर खुशी मनाएँ..
    दीपावली पर्व की आपको ढेरों मंगलकामनाएँ!

    -समीर लाल 'समीर'

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  5. @ समीर जी,डिम्पल जी,
    आपको भी दीपावली की बहुत बहुत शुभकामनाऐं

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  6. रचना काफी अच्छी है पूरी की पूरी कविता में एक आक्रोश है सिस्टम के प्रति परन्तु आपकी अंतिम पक्ति की अंतिम दो लाइने मुझे या तो समझ नहीं आई और यदि है तो उचित नहीं लगी ....
    तब उसे अपनी ओकात पता चली
    इसका मजहब और जात पता चली
    मजहब और जात से क्या तात्पर्य है कृपया उल्लेख करे

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  7. अमरजीत जी, मेरा मानना है कि हमारी सोसाइटी में अलग-अलग मौकों पर मज़हब, ज़ात, क्षेत्र या फिर किसी और चीज़ के आधार पर हमें लगातार विभाजित किया जाता है और बंदिशे लगाई जाती रही हैं। जब भी आप ज़मीर के हाथों मजबूर होकर कुछ करने या कहने की जुर्रत करते हैं तो आप पर इन सभी को हथियार बनाकर वार किया जाता है। आपको आपकी मज़हब और ज़ात बतायी जाती है और आपकी औक़ात बताई जाती है। फिर चाहे आप कितने ही निष्पक्ष हों। अक्सर लोगों की सही बात भी ग़लत बातों से दबाने की कोशिश की जाती है। इन दोनो पंक्तियों से मेरा तात्पर्य यही है कि जब वो ‘ट्यूबलाईट जली थी’ तो उसे इस सब का सामना करना पड़ा और तभी से उसने अपना वजूद खो दिया।
    ये केवल मेरी व्यक्तिगत राय है।

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  8. tyublight jharkhand ho gayi hai mere yaar....ise ab uthakar fenknaa hogaa.....

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